भूख
भूख
गरीब आदमी के लिए
एक तपती जमीन है ,
जिसमें
पानी के छींटे
वाष्प बनकर उड़ जातें है
अंतड़ीयो के जंगल में
भूख दावानल की तरह सुलगती हैं
और कहीं कोई राह न मिलने पर
अपने आप बुझ जाती है
और राख़ हुई अंतड़ियो में
एक चीज सुगबुगाती है
जिन्दा रहने की चाह
मगर भूख
वह वफादार लुगाई है
गरीब आदमी के लिए
जो उसके मरने के बाद ही
सती हो जाती है