बीमारी का पोस्टमार्टम
बीमारी का पोस्टमार्टम
अस्वस्थता कुछ भी नहीं
सिर्फ एक ज़रिया है,
आत्मसिंहावलोकन का
मरने पर जिस तरह
मनुष्य की अच्छाइयाँ
याद करते है लोग,
तिलांजलि देकर
बुराईयों को
उसी तरह
एक लम्बी बीमारी में
सिर्फ अपने दुष्कर्म
याद आते है
सत्कर्मो को
नगण्य मानकर
कि यह
अस्वस्थता
प्रतीक तो नहीं
अपने दुष्कर्मो की
प्रतिफल का
और
यह अहसास
जन्म देता है
प्रायश्चित को
मन:स्थल के तराजू पर
दुष्कर्मो का बोझ
बढ़ता ही जाता है
और यह प्रेरणा देता है
भविष्य में
दुष्कर्मो से बचने का
इसलिए
मनुष्य की समझदारी के
बिंदु पर
आवश्यक है एक
लम्बी बीमारी