राखी सिर्फ एक धागा नही!
राखी सिर्फ एक धागा नही!
कहने को आज राखी से सजी थाली है
पर वक़्त आजकल एहसासों से खाली है
कभी इन्तिज़ार रहता था पायल की झंकार का
रिश्तों को प्यार से निभाने के एकरार का
पवित्रता आजकल स्टेटस से तोली जाती है
चमक धमक की भाषा अब ज़्यादा बोली जाती है
झोपड़ियों के दर पर पाँव पीछे थम जाते हैं
अमीर रिश्ते गरीबों के दर पर कम जाते हैं
रिश्ते मापे जाते हैं तिजोरियों के धाव पर
मलहम गायब है लगता जो गरीबी के घाव पर
मन के सच्चे
बंधन अहं ने सब तोड़ डाले है
चकाचौंध ने दिल में अनोखे मोड़ पाले है
आँखे कई देखीं हैं एक दूजे का इंतज़ार करते
पर निराशा मायूसी लाती है, सांझ के ढलते ढलते
राखी सिर्फ धागा नही सुरक्षा का ठोस प्रण है
धूमिल इसके धागे, धूमिल अपनों के ही मन है
ऐसी कोई पुण्य धारा बहे, अन्तर्मन के दरिया में
धो डाले जो ज़हर, खिला दे गुल दिलों की बगिया में
भाई बहन का बंधन कहाँ पैसों का मोहताज है
नस नस में बहता खून, एक तरंग एक ही साज़ है.