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Kamal Purohit

Abstract

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Kamal Purohit

Abstract

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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देश की आज़ादी का यह जश्न सबके दिल में है।

जोश भी है, प्रेम भी है, प्रश्न भी महफ़िल में है।


क्यों नही इंसाफ मिल पाता है मुफ़लिस को कभी ?

देश है गणतंत्र फिर भी शक्ति क्यों आमिल में है ?


हिचहकिचाते क्यों सजा दुष्कर्मी को देने में हम ?

क्या नही हिम्मत सज़ा देने की उस आदिल में है ?


नारी का सम्मान करने वाला भारत देश है।

आन नारी की भला क्यों हर घड़ी मुश्किल में है 4?


मुश्किलों बिन तो नही कट पाएगी ये जिंदगी।

मुश्किलों का हल तेरी इन राहों की मंजिल में है।


हम हमारे देश को बेहतर बनाना चाहते।

जोश है जज़्बा भी है और प्यार भी इस दिल में है।


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