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Shwetha Krishnan

Abstract

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Shwetha Krishnan

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भगवान

भगवान

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तलवार खींच और मार मुझे

चाहिए जो जय जयकार तुझे

ले कठिन परीक्षा जीवन भर की 

या दे दूँ ये संसार तुझे 


तू मांग, अगर ले सकता है 

मत पूछ, क्या दे सकता है 

हैं दिए मैंने संसार निकर 

हैं दिए सृष्टि के अनुपम कण 


मैं चीख चीख कर कहता हूँ 

कई वज़न मैं हंस कर सहता हूँ 

तू जान न पाए मन का मोल 

मैं सुख और दुःख देता हूँ तोल 


आ जा, आ जा अब ले ले तन 

हैं किये मैंने जीवन अर्पण 

तू यदि क्षण भर चल सकता हो 

दिखलाऊँ तुझको अम्बर का स्वर 


तू हो भगवन या हो अल्लाह 

तू मदर मरियम या हो ईसा 

तू जान मुझे, तुझमें मैं हूँ 

तू मान मुझे, मुझमें तू है 


तू देख जर्जर और टूटा हृदय

तू देख बही हुयी ये लय 

तू देख मेरा आदि सृजन 

तू देख मेरा मलिन प्रत्यय 


मत देख मेरा करुण मुख 

मत देख क्षणभंगुर सा सुख 

मत देख कहाँ मैं खाता हूँ 

मत जान कहाँ मैं जाता हूँ 


यदि चाहे मुझे देखना हर पल 

मेरी राह पर एक बार तो चल 

मैं प्रेम के पथ का मतवाला 

चाहूँ रहना, चल चल, हर पल 



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