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Shwetha Krishnan

Abstract

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Shwetha Krishnan

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पहचान लो

पहचान लो

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हवाओं में खुद को तोल दो

जान लो

उड़ पाओगे या नहीं

धुप में खुद को पका दो

जान लोगे, झेल पाओगे या नहीं 


उस चेहरे में झाँक लो

दर्पण का मोल नाप लो

आत्मा का वजन माप लो

गहराइयों को भांप लो

जिस दिन तुम रोये थे

उस दिन को पहचान लो

सोच लो कौन कहाँ है

कौन साथ था, कौन साथ है

सर्दियों में काँप लो

गर्मियों में सांस लो

जो हरे से भूरा हो गया

मुट्ठी में भर लो, तिनको से बनी घांस को


कुछ कर न पाओ आज अगर

कल को थाम लो

कहाँ से तुम आये थे

उस जगह को पहचान लो

उस ज़मीन को नाप लो

दो गज थी या दो टीले

दो गज होगी या दो टीले

आग होगी या पानी

यथार्थ का दामन थाम लो

स्वयं को जान लो

अपनी हस्ती को नया नाम दो

सागर में मिल जाना है

सागर को थाम लो।



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