नया है ज्वालामुखी-सा धधकता आंतरिक अपेक्षाओं का शोला... नया है ज्वालामुखी-सा धधकता आंतरिक अपेक्षाओं का शोला...
मंज़र हसीन था रात के शृंगार का, दिन के उजालों ने जल कर मिटाया है। मंज़र हसीन था रात के शृंगार का, दिन के उजालों ने जल कर मिटाया है।
प्यार भी सबसे करती थी मेरे अलावा। प्यार भी सबसे करती थी मेरे अलावा।
जिन चराग़ों को था ग़रूर अपनी लौ पर, हल्के-से झोंके ने मिटा दी हस्ती उनकी। जिन चराग़ों को था ग़रूर अपनी लौ पर, हल्के-से झोंके ने मिटा दी हस्ती उनकी।
ये तो मुश्किल है मैं बदल जाऊँ अभी ज़िन्दा है आदमी मुझमें। ये तो मुश्किल है मैं बदल जाऊँ अभी ज़िन्दा है आदमी मुझमें।
क्यो रखे हुए तू मन में बैर नफ़रत कर के पाएगा ख़ाक, मिट्टी में जन्मा है, हो जाना है एक दिन म... क्यो रखे हुए तू मन में बैर नफ़रत कर के पाएगा ख़ाक, मिट्टी में जन्मा है, हो...