कलाम और खराल
कलाम और खराल
तेरे खराल में मेरी कलाम टूट गयी
आइए पास तो नज़र छूट गयी।
आवाज सुनी तो बेहोश हो गया
आ कर बैठी तो हैरान हो गया।
बोलती थी तो लगता था
पानी और धरती एक हो गये हैं।
जब हस्ती थी तो लगता था
रेगिस्तान में पानी मिल गये हैं।
बात तो सबकी करती थी मेरे अलावा
प्यार भी सबसे करती थी मेरे अलावा।
प्यार से ज्यादा दोस्ती पर विश्र्वास करती थी
वालिदैन से ज्यादा दोस्तों के साथ रहती थी।
