ख़ौफ़ में जीती बेटियाँ
ख़ौफ़ में जीती बेटियाँ


हर पल जीती है
बेटियाँ खौफ में
न घर में हैं सुरक्षित
न बाहर है।
हर पल जीती हैं बेटियाँ खौफ में
न माँ की कोख में सुरक्षित
अपने ही दुश्मन बन बैठे
हर पल डर के साये मे जीये जा रही।
कब कौन हैवान बन बैठे
उनकी इज्जत का दुश्मन बन बैठे
आखिर क्यों हो रहा है ऐसा।
क्या सबके अंदर की
मानवता हो गयी खत्म
क्यो हर पल डर के साये में
जी रही बेटियाँ।