Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Nancy Sundrani

Tragedy

5.0  

Nancy Sundrani

Tragedy

ख़ौफ़ में जीती बेटियाँ

ख़ौफ़ में जीती बेटियाँ

1 min
221


हर पल जीती है

बेटियाँ खौफ में

न घर में हैं सुरक्षित

न बाहर है।


हर पल जीती हैं बेटियाँ खौफ में

न माँ की कोख में सुरक्षित

अपने ही दुश्मन बन बैठे

हर पल डर के साये मे जीये जा रही।


कब कौन हैवान बन बैठे

उनकी इज्जत का दुश्मन बन बैठे

आखिर क्यों हो रहा है ऐसा।


क्या सबके अंदर की

मानवता हो गयी खत्म

क्यो हर पल डर के साये में

जी रही बेटियाँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy