हमारा सिस्टम और हम
हमारा सिस्टम और हम
ना जाने हम सिस्टम कहाँ छोड़ आये
यह तो भ्रष्टाचार ले आये
यहाँ हर नागरिक उन नेता को देता तो गाली है
पर उनको तो हम ही ले आऐ
हर इंसान बदलना चहाता है इस सिस्टम को
पर बदलना के लिए हिम्मत नही ले आऐ
एक पार्टी तो इस साल जिताया तो
पाँच साल बाद दूसरी पार्टी तो जिताया
यह दौर ऐसा ही चलता रहा
पार्टी जीतती रही और हम हारते रहे!