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Bhawana Raizada

Abstract Tragedy

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Bhawana Raizada

Abstract Tragedy

आधा टुकड़ा

आधा टुकड़ा

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है नसीब अपना अपना कब किसको क्या मिले

किसी को मिले पूरा तो किसी को आधा टुकड़ा मिले। 


किस्मत के मारे भटक रहे हैं दर दर अपना दर्द लिए, 

नासमझ अंजान बन फिरते हैं जो अपनी अकड़ में, 


कर किनारा दुनिया से रहते वो लड़ झगड़ के। 

कोसते रहते जो हर वक़्त हाथों की लकीरों को, 


कोशिश करते हाथ की मुठ्ठी में रेत रोकने को। 

सुनो भैया समय का पहिया है बड़ा बलवान, 

अच्छे अच्छों की जहाँ में निकल जाती है शान। 


कर्म करो वो जो नेक दिल और उदार चरित्र बनाये, 

जग में कर्म ही हैं जो गति की राह दिखाये। 


न हो दुखी ले लो जो भी किस्मत से मिले, 

किसी को मिले पूरा तो किसी को आधा टुकड़ा मिले।


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