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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Abstract

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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

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समुद्र तट पर घुड़सवारी(Pr-18)

समुद्र तट पर घुड़सवारी(Pr-18)

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यूरोप महाद्वीप का सुन्दरतम देश पुराना हालैंड अब नीदरलैंड ।

जिसके निवासी धनाड्य व भाषा भी डच राजधानी एम्सटर्डम ।


हार्लिजिन,हेगा,शेवेनिंगेन से रेतीले बीच लम्बे-चौड़े यहां।

इसकी मखमली श्वेत धवल बहुआयामी चांदी सी रेत कहां।


मनोरम प्राकृतिक दृश्य देख अनायास ही मन जाता ठहर।

रंगीन मछली सुंदर ,सिर निकाले कछुआ झिलमिलाते पर ।


'डच ईस्ट इंडिया कंपनी' ने 1602 में भारत आ खोली थी। 

1596में कारनेलिस डेहस्तमान ने भारत संपदा तौली थी।


शहर की भीड़ से दूर,मद्रासी शान्त,खाली तट खोज पाया था ।

डचों को चेन्नई मरीनाबीच लम्बा,स्वच्छ खूब ही भाया था ।


3 अश्वारोही संग श्वेत मारवाड़ी घोड़े में कैप्टेन था आया ।

नायाब सुंदर तट शहर की भीड़ से दूर , खींच था लाया।


2सवारों के काठियावाड़ी,घोड़े भूरे,चुस्त तीसरा था अरबी काले ।

बड़े ही फुर्तीले,बलिष्ठ ,लम्बे कान ,रेशमी बाल,हसीन अयाल वाले ।


भुवन भास्कर प्रतिबिंब देख सिन्धु जल में करते अठखेलियां ।

दुनिया की सबसे खूबसूरत बारिश बूंदों की पुष्प केलियां ।


जल ऊपर स्नाॅर्कलिंग कतारें अद्भुत थे सजीव जीवंत नजारे ।

अथाह मन समुद्र में उठती अदम्य अनन्त इच्छाओं सी लहरें ।


समुद्र में कर किलोलें,उठती-गिरती लहरें बढ़तीं कैसे आगे ।

कुछ पूरी होतीं,कुछ टूट कर जातीं बिखर तटीय किनारे भागें ।


भावनाओं का ज्वारीय सैलाब स्खलित होता मन में ।

कुछ टीस,कुछ खीज,कुछ उमंग दे जाता अश्वारोही के तन में ।


सुनहरी प्रात की में रेत रविकिरण साथ झिलमिल चमकती ।

बना घरौंदा मुसाफिर लिख नाम अपना कर निर्माण लेतीं ।


पानी की लहरे रेत में छिपी सीपियां कुछ मोती सहेज रखतीं ।

ग्रीष्म में रेतीले दमकते तट,मानो सहारा रेगिस्तानी आभा देतीं ।


दौड़ते अश्वारोही की इच्छाओं से हो रही निर्मित संचालित ।

अधूरी कामनापूर्ति में बाधक सी छिपी है चाहत विचलित ।


युवा अंतर्मन को उत्कंठा,आशा में बदल खुश हो रहे थे 

समुद्रीतट पास ही एंटोनी रूडोल्फ मैव्यु ये चित्रकारी रच रहे थे। 


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