STORYMIRROR

Ashu Kapoor

Abstract

4  

Ashu Kapoor

Abstract

अनजान सफर

अनजान सफर

1 min
321

    

चल मेरे दिल  

कहीं दूर चल

पकड़ें कोई अनजान डगर,

चलें,किसी अनजान शहर,

इस कैद से दूर,

कहीं भाग चलें,

जहां गमों में

कुछ निजात मिले,

खुशियों की बरसात मिले

जहां स्वारथ का व्यवहार न हो,

जहां सांसों का व्यापार न हो

जहां ईर्ष्या द्वेष आधार ना हो

जहां केवल प्यार ही प्यार हो      

सितारों से आगे--- जहाँ और भी होगें,

खुशियों के नजारे और भी होंगे

चल मेरे दिल, 

किसी अनजान सफर पर,

जहां खुद को मैं तलाश सकूं,

 इक अनजान डगर पर चलते-चलते,

 कोई मन का मीत ही मिल जाये,

 कुछ ख्वाब हमारे सज जायें,

 सपनों से हसीं संसार में

अपना भी गुजर फिर हो जाए

 ए मेरे दिल, चल--

 किसी अनजान सफर पर,

 जहां बस हम तुम हो

 कोई और न हो!।।।


         

     


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract