STORYMIRROR

सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

4  

सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

हवा बन बह जाने दो

हवा बन बह जाने दो

1 min
212

इन हवाओं को 

एहसासों की तरह बह जाने दो

अपने दायरे को भूल 

चौखट तो पार कर जाने दो

आज रोको ना इनको 

आज इन्हें बह जाने दो

इसे सहजने का जतन 

तुम क्यों करते हो? 

इन हवाओं को 

एहसासों की तरह बह जाने दो


इन हवाओं को कैद कर 

इनका पतन तो न करो

जरूरत समझो इनकी 

इस तरह इन्हें शमन न करो

आज अपने हिस्से की खुशियाँ 

इसे समेट लेने दो

आज रोको ना इनको 

आज इन्हें बह जाने दो


ज्ञात है अपनी दिशा 

थोड़ा अपनी मन की करने दो

होड़ नहीं है सब कुछ पाने की 

फिर भी जिद है बहने की

अपने दिशा से इसे 

थोड़ा सा आगे बह जाने दो

आज रोको ना इनको 

आज इन्हें बह जाने दो


ऐसे बहने दो जैसे 

एक भीनी महक सी उठती है

बारिश की बूंदों संग मिलकर 

अंतर्मन को बहुत कुछ कहती है

ऊपर उठकर 

हवा का झोंका बन उड़ जाने दो

आज रोको ना इनको 

आज इन्हें बह जाने दो


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract