STORYMIRROR

Dinesh Dubey

Abstract

4  

Dinesh Dubey

Abstract

डर

डर

1 min
411

डर से डर कर जो डरता रहता,

जीवन में वह कुछ न कर पाता,

डर के डर को बाहर निकालो,

वरना डर डर के मर जाओगे।


कोई डरता है नीचे गिरने से,

कोई डरता है ऊपर चढ़ने से,

कोई डरता है भूत प्रेत से,

कोई डरता है अपने आप से।


डर का काम है डराते रहना,

तुम्हें उस पर है काबू करना,

कब तक जीयोगे तुम डर डर कर,

जियो तुम डर से ऊपर उठकर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract