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Ganesh Chandra kestwal

Abstract Inspirational

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Ganesh Chandra kestwal

Abstract Inspirational

मानवता

मानवता

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मानवता का भाव ही, मानव तन की शान है।

जिसके बल पर विश्व में, मानव का गुणगान है। 

अच्छाई को धार लें, जिनका जग में मान है ।

पालन करना नित्य ही, सबसे उत्तम ज्ञान है॥ 


अपनाएं नित सत्य को, जो जीवन का मूल्य है।

सुख देता इस लोक में, जो पारस के तुल्य है ।

दया भाव हो चित्त में, जो मानवता मूल है।

दया हीन नर विश्व में, चुभता जैसे शूल है॥


न्याय वृत्ति नहीं त्याग हो, लगे न कोई दाग हो।

दहे अन्याय जीव को, जैसे वन की आग हो। 

हिंसा मानव छोड़ दे, वृत्ति अहिंसक राग हो। 

प्रेमभाव के पुष्प से, सुरभित मानव भाग हो॥


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