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Shashank Pandey

Abstract

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Shashank Pandey

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हिंदुस्तान का समय चक्र

हिंदुस्तान का समय चक्र

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अपनी इस विराट संस्कृति पर 

रोऊँ या मैं गर्व करूँ


कभी थे विश्व गुरु जग में

झुकी दुनिया जिसके पग में

दुनियां को जिसने राह दिखाई

निति धर्म की बात बताई


जिसने मिटाया घोर अंधियारा

किया जिसने जग उजियारा

सबकी खातिर जो जग में 

खुद ही एक सहरा था 

वो भारत देश हमारा था।। 


 संसार को जिसने आधार दिया 

जिसने सबका सत्कार किया

विश्व शांति की खातिर जिसने

पग- पग पर बलिदान दिया 

जग में कोई राष्ट्र न था 


जो रहा हो भारत सा महान 

शामिल थे इस विराट रास्ट्र मे 

ईरान अफ़ग़ान और पाकिस्तान

अखंड भारत था अतीत में

दुनिया करती जिसका गुणगान

मान था जिसका स्वाभिमान

वह था भारत राष्ट्र महान


दुनिया से कोसों आगे थे

फिर क्यों पीछे छूट गए

क्या आज हमारे ईष्ट देवता

खुद ही हमसे रूठ गए

क्यों राष्ट्र हमारा टूट गया

क्यो जग से पीछे छूट गया


क्या हम ही उत्तरदायी हैं

बंट गया देश, समाज बंट रहे

कोई बना हिंदू कोई

मुसलमान बना फिर रहा

सब आपस में ही लड़ रहें हैं


वे न अपना कर्म कर रहे

वे न अपना धर्म कर रहे

जब आपस में ही तुम लड़ोगे

शत्रु का सामना क्या करोगे


हे! भारत के नौजवानों

अपनी शक्ति और नीति का 

जग में तुम विस्तार करो

अपनी उर्जा का संचार करो 


नवभारत का निर्माण करो

विश्व गुरु बन जाएं फिर हम

तुम ऐसा कोई काम करो

तुम ऐसा कोई काम करो।। 


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