नीला समुद्र
नीला समुद्र
फैला दूर तलक तक है,
कहीं नीला, कहीं आसमानी,
कहीं हरा समुन्द्र है,
इसकी गहराई मे बैठे,
समुद्र के सारे जलीय जीव है,
जब विपदा आई पृथ्वी पर,
इसके तल मे बैठ गया छुपकर,
बची जान, सब बताने को,
आया कछुआ एक दिन उपर,
देख के धरती, आकाश का हर छोर,
हुआ उसे बड़ा आश्चर्य,
उसने तय किया फिर,
है मुझको इसी में रहना,
जो फैला दूर तलक तक है,
कहीं नीला, कहीं आसमानी,
कहीं हरा समुन्द्र है।