Divyanjli Verma

Inspirational

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Divyanjli Verma

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विज्ञान का सच

विज्ञान का सच

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क्या लिखूं विज्ञान के बारे में,

सच कहूं तो इस पर से मेरा भरोसा उठ गया है।

सनातन के ज्ञान को पढ़ के विज्ञान ने की है तरक्की,

और अब मानव खुद को वैज्ञानिक कहने लगा है।


चलो शुरू करते है सूरज से पृथ्वी की दूरी किसने नापी,

तुमने पढ़ा होगा कभी एक लाइट को भेज के सूरज तक

फिर धरती पर वापस आने में लगे समय से नापी,

लेकिन संभव कैसे हुआ ये,

जब धरती हर पल हर दिन बदल देती है अपनी दिशा,जगह,धुरी।


कभी कभी तो लगता है बेवकूफ बनाया गया हो जैसे,

जो चीज किसी को नही पता उस पर सब विश्वास भी कर लेते है कैसे?

अब बात करो टाइम मशीन की,

मशीन का तो संबंध ही बिजली से है,

मै सोचती थी वैज्ञानिक सबसे बुद्धिमान होते है,

मगर मैं सोचती हूं की बुद्धिमानी ऐसी बेवकूफी कैसे कर सकती है,


सनातन धर्म की किताबो में तमाम विद्याएं है ,मंत्र है,

भविष्य और भूत की यात्रा कराने को,

फिर टाइम मशीन जैसी चीज के बारे में कोई कैसे सोच लेता है।

विज्ञान ने भले की होगी बहुत तरक्की,

अविष्कार, सुख सुविधा और ऐश ओ आराम का इंतजाम,

लेकिन फिर भी शांति के लिए ढूंढता है मन अध्यात्म का विश्राम।


अंतर्मन यही कहता है की तरक्की उसे नहीं कहते

जिसके फायदे के साथ साथ नुकसान भी हो,

और विज्ञान की तरक्की के साथ हमेशा वरदान और अभिशाप जुड़ता है,

जबकि अध्यात्म के साथ केवल वरदान का संबंध होता है।

सोच समझ के लिखी है ये बात,

की अब विज्ञान में नही रह गया है विश्वास।


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