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Divyanjli Verma

Children Stories Others

4  

Divyanjli Verma

Children Stories Others

खेल वो बचपन के

खेल वो बचपन के

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ऊंच नीच, छुपा छुपाई, आइस पाईस, बर्फ पानी

खेल थे बचपन के हमने खेले,

ये थे हमारे जीवन के सबसे जरूरी काम,

ड्यूटी लगती थी मोहल्ले के बच्चों की, 

इन खेलों को खेलने की,

रविवार को ही मिलती थी छुट्टी पूरी,

तब पूरा दिन खेलो खेल मजे से,

लेकिन बाकी दिन 4 बजे 5 बजे की ड्यूटी,

जंगल में आग लगी भागो बच्चो भागो,

सबसे पसंदीदा खेल हुआ करता था,

100 रुपए की घड़ी चुरा के चोर हमेशा भागा करता था,

हम मिलकर चुप करवाते थे उस सहेली को,

जो बागो में बैठ के रोती थी,

जब वो चुप न हो तो गीत गाना पड़ता,

उठो सहेली उठो,

अपने आंसू पोंछ लो,

गोल गोल घूम लो,

अपनी सहेली ढूंढ लो,

सहेली को उसकी सहेली से मिला के,

जाते थे हम बूढ़ी अम्मा से पूछने,

बूढ़ी अम्मा बूढ़ी अम्मा क्या पकाई हो?

बूढ़ी अम्मा कहती थी चीजी पकाई है,

दिन भर खेल से थकने के बाद भी नहीं भरता था मन,

वो बचपन के खेल में होता था कितना रंग।



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