STORYMIRROR

Divyanjli Verma

Inspirational

4  

Divyanjli Verma

Inspirational

आत्महत्या से बचो

आत्महत्या से बचो

1 min
223

इतना ज्यादा बढ़ गई है आत्महत्या की प्रवृति,

कि लोगों के लिए अपनी ही जिंदगी से खेलना आसन हो गया है,

जब तक जी रहे है दुखी रहते हैं,

इस दुख को खत्म करने के लिए खुद को ही मार लेते हैं,

आसान तो नही होता होगा खुद से ही खुद को खत्म करना,

ये भी एक अज्ञानता है, संस्कारों की कमी है,

अगर बचपन से ही वेद, गीता, पुराण और शास्त्रों को पढ़ा होता,

तो जिंदगी का असली मकसद हर आत्महत्या करने वाले को पता होता,

जब लगे कभी की जिंदगी में अब बचा नही कुछ भी,

एक बार उसे याद करना जिसे भगवान मानते हो,

उसके नाम से सुबह शुरू करना,

उसके ही नाम पर खत्म अपनी शाम करना,

मृत्युलोक में मरना तो सबको ही है,

अपनी स्वैच्छिक मौत आने से पहले कुछ तो बड़ा काम करना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational