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Krishna Bansal

Inspirational

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Krishna Bansal

Inspirational

हृदय पट खोल दो

हृदय पट खोल दो

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मेरी मानो, 

हृदय पट खोल दो 

आने दो भीतर 

चढ़ते सूरज की 

रश्मियों को 

तरोताज़ा हवा के झोंकों और

फूलों की सुगन्धि को 

पक्षी की चहचहाहट

प्रकृति में बिखरी हरियाली 

ढलते सूर्य की लालिमा 

बहते झरने 

चांद की ठंडक 

नीले आकाश का फैलाव 

तारों की टिमटिमाहट 

पर्वतों की ऊंचाइयाँ और

समुद्र की गहराईयाँ 

इन सब को पाकर महसूस करो हृदय का भराव 

आपकी दुनिया ही बदल जाएगी।


विचार ही नहीं आएगा 

आप कष्ट में हैं

अभाव,दुविधा,

बीमारी, तनाव, संघर्ष,

या फिर उलझन में हैं।

 

आप स्वयं को 

प्रकृति के समरूप पाएंगे।



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