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Divyanjli Verma

Inspirational

4  

Divyanjli Verma

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आजादी की जंग

आजादी की जंग

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दुश्मन था मजबूत

धोखा करने और छलने में

रणनीति के आगे मानवता हारी थी

जीतने की जंग, अब बारी हमारी थी

समझौते न समझा वो 

न प्यार कि बाते कोई, समझ आ रही थी

दुश्मन की गंदी चालो को, कुचलने की तैयारी थी


मुश्किल था वो दौर 

न घर ,न कपड़े, न खाने को एक कौर

लूट के सब ले गए

न थी उम्मीदों की कोई डोर

फिर भी हिम्मत न हारी थी 

टुकड़ों टुकड़ों में होने लगी जंग की तैयारी थी

एक साथ जो जीती न जा सके

उसे चारो ओर से घेरना था 

धोखे की रणनीति में हमें

सूझबूझ से काम लेना था

दुश्मन था मजबूत

फिर भी कर ली आजादी की तैयारी थी

टुकड़ों-टुकड़ों में होने लगी जंग की तैयारी थी।


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