सफर
सफर
एक प्यारा सा सफर है जिंदगी
कभी कंटीली राहे
कभी पथरीले पथ
कभी अंगारों सी राहे
कभी राह रोकता अन्धकार
फिर भी अडिग हिमालय सा
ओजवान सविता सा
बिखेर कर अरुणिमा नभ में
देती उजियाला का सन्देश भी
जो चीर लिया हर तूफान
बनता हर सफर फूलो सा भी
कुछ सुगंध बिखेरती वायु सा भी
बना देता है फिर ये सफर
कुछ पदचिन्ह प्यारे प्यारे
युगों युगों तक संवरती जिससे
मनुजता राह जिससे
तो चलना है बस हर सफर पर
चुनौतियों संग मुस्काते हुए
कभी सीखते हुए कभी सिखाते हुए
प्रेम लुटाते हुए करुणा बहाते हुए
नफरत की दीवारें गिराते हुए
भूले भटको को गले लगाते हे हुए
प्रेम के दीप जलाते हुए
फिर होगा हे सफर प्यारा सा
चाहे साथ हो या न हो
एकला चलो रे के मंत्र सा
प्यारा प्यारा सा
कुछ अद्भुत न्यारा सा।
