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Sachin Gupta

Inspirational

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Sachin Gupta

Inspirational

जननी महान

जननी महान

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ओ जननी.................

ओ जननी ,,,,,,,,,,,,,

तुम हो जन - जन का सार,

तुम हो जन - जन का आधार,

ओ जननी ,

तुम हो जन - जन का मान ।


पर क्या समझे ये तुझको ,

है जो ये निर्मोही संसार ।


तुम अबला ही सही, दुबला ही सही,

कोमल ही सही , भावुक ही सही ,

फिर भी, तुम हो जीवन की सार ।


हाँ जीवन की सार ।

जीवन का आधार


मान में भी ,अपमान में भी

जीवन में भी, मरण में भी

सुख में भी, दुःख में भी

संयोग में भी , वियोग में भी

हास में भी, परिहास में भी

तुझको जीना है स्वीकार                        

ओ जननी

तुझको जीना है स्वीकार ।

                        

पर ,क्यों न समझें तुझको,

ये निर्मोही संसार

मैं अनजान ,

मैं नादान

क्या करूँ तेरा बखान

तुम हो जो ममता का भंडार।

ओ जननी,

तुम हो जीवन का अभिमान


अस्तित्व है जीवन का तुझसे

सृष्टि भी थमती है तुझसे

तेरे आंचल की छाया में ,

पले है जग संसार ।

रूप अलग है ,रंग अलग है

गुणों में तू सबसे महान है ।

तभी तो ओ जननी तुम हो धनवान

बाकी सब कंगाल, तुम ही हो धनवान ,

तुम हो जन - जन का सार,

तुम हो जन - जन का आधार,

ओ जननी,

तुम हो सबसे महान।


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