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Sachin Gupta

Tragedy Action Inspirational

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Sachin Gupta

Tragedy Action Inspirational

सैनिक बनना आसान नहीं

सैनिक बनना आसान नहीं

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नादान उम्र, जिम्मेदारी ज्यादा

जिम्मेदारी के बोझ तले जो दबता है

गलियाँ सुनकर भी जो चुप रहता है

कठोर कंकड़ पर सो कर भी ख्वाब जो जोहता है

वही तो सैनिक बनता है ,

पर ये इतना भी आसान नहीं

 सैनिक बनना आसान नहीं।


नींद को आँखों में पालना पड़ता है

दर्द को, जख्म को सहना पड़ता है

नींद के पहर में जागना पड़ता है

फिर माँ की पल्लू को छोड़ 

दौड़ में जान लगाना पड़ता है

बस सैनिक बनने को हर सुख चैन छोड़ना पड़ता है

तभी तो फिर से कहता हुँ यारों

ये सैनिक बनना आसान नहीं।


परिश्रम की भट्टी में खुद को झोंकना पड़ता है

उस्तादों के डंडे खा कर भी हँसना पड़ता है

कठोर परिश्रम में खुद को तपा कर

तन के पसीने में निखारना पड़ता है

छोड़ कर माखन मलाई

सिर्फ सुखी रोटी में भूख मिटाना पड़ता है

बर्फ के गोले खा कर भी

यारों से सब बात छिपाना पड़ता है

तभी कोई बनता है सैनिक

ये सैनिक बनना आसान नहीं।


सरहद पर दुश्मन सैनिक देता है गली

चुप – चाप रहकर , खून के घूँट पीकर

सही अवसर तलाशना पड़ता है

फिर दुश्मन देश के सैनिक को सबक सिखाना पड़ता है

जब तक मिल ना जाये अवसर 

झूठा ही सही पर मुसकुराना पड़ता है

हर दर्द को अपनों से छिपाना पड़ता है

ये सैनिक बनना आसान नहीं।


कठोर सर्द हवाओं के थपेड़े

सियाचीन की पहाड़ी

और दुश्मन के खेमे

सब को रख एक नजर पर

बर्फीली रातों को जागना पड़ता है

जान हथेली पर रख कर

दुश्मन के खेमे में जाना पड़ता है

पर ये इतना भी आसान नहीं

जिस्म गायब हो जाता है नाम गुमनाम

फिर भी भेद अपना छिपाकर

सरहद के पार जाना पड़ता है

ये सैनिक बनना आसान नहीं।


रेगिस्तान की गर्मी और धूल की आँधी

सब सहकर , देश का मान रखना पड़ता है

पिता को कांधा देना नसीब में नहीं

आखिरी मुलाकात अपनों से होगा या नहीं

ये सब सोच कर भी , ये सब जन कर भी

देश प्रेम का जज्बा रखना पड़ता है

ये इतना भी आसान नहीं

 सैनिक बनना आसान नहीं।



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