देवों के देव महादेव
देवों के देव महादेव
देवों के देव महादेव
देवों के जो देव है
महादेव जिनका नाम है
हम करते है जिनकी पूजा
शंकर उनका नाम है।
कैलाश उनकी नगरी है
काशी फिर भी उनको प्यारी
उज्जैन में साक्षात् विराजमान है
अमर नाथ में अमर गाथा उनकी
केदारनाथ में बैठे करते मन को शांत
ऐसे है मेरे भोलेनाथ
देवों के है जो देव
महादेव उनका नाम है।
सर में जटा
जटाओं से गंगा को बाँधे
शीश पर चंद्र साजे
ललाट पर तिलक भस्म रमाये
कान में कुंडल
गले में उनके सर्प विराजे
हाथों में धरे त्रिशूल
दूजे हाथ में डमरू थामे
रुद्राक्ष लिपटे तन पर उनके
पीताम्बर वस्त्र सजे
ऐसे शोभित मेरे भोले नाथ
देवों के है जो देव
महादेव उनका नाम है।
उनको नहीं चाहिए उनको कोई मिष्ठान
बस भांग धतूरा उनको है प्यारा
शीतल जल से करते वो भक्तों का कल्याण
तभी तो वो भक्तों को प्यारे
मन में कोई बात है तेरे
कोई नहीं सुनता क्या प्यारे
जाओ एक बार भोले के बन प्यारे
देवों के है जो देव
महादेव उनका नाम है।
जयकार लगा कर , बम – बम कहते
कांवड़ उठा कर कंटक पर चलते
भर कर गंगाजल बम - बम के नारे
जोर लगाकर दिन रात है चलते
महादेव को करने अर्पण
देवघर को चलते
ऐसे है भोले के भक्त निराले
मन में न कोई अभिमान रख
बस नाम ले भोले का
जपता जा, भजता जा भोले को प्यारे
देवों के है जो देव
महादेव उनका नाम है।
जीतना था समर्थ मेरा ,
उतना मैंने गुणगान किया है
गलती कोई हुई हो मुझसे
तो कर देना माफ
समझ लेना भोले, मुझको नादान
मन मेरा साफ है पूरा
नहीं रहता कोई कपट का कटोरा
क्योंकि मैं भी भोले का भक्त
करता हूँ मैं उनकी पूजा
देवों के है जो देव
महादेव उनका नाम है।
