नारी का रूप
नारी का रूप
तन पर आँचलऔर आँचल में दूध,
गोद में बच्चा,
जिस पर लुटाती ममता
वाह! कितना प्यारा, कितना सुन्दर है
तेरा यह रूप निराला रे।
तन पर लाज का पहरा,
माँग में सिंदूर
जिसका रंग है गहरा।
माथे पर है बिंदियाँ लाल
तो सर पर है घूँघट का ताज
होंठों पर है लाली,
बालों में फूलों की चोटी
हाथों में चूड़ी और कंगन
जिसका भी रंग है गहरा
पैरों में है पायल
जो करती छम - छम
वाह कितना सुन्दर है,
कितना अद्भुत
तेरा यह रूप निराला रे।
कानों में बाली,
नाक पर नथुनी
आँखों में काजल
नजरों में शर्म
दिल में कोई अरमान,
मन में स्वाभिमान,
पर चेहरे पर शालीनता
नाक पर अभिमान,
तो हृदय में है उदारता
पर गोद में है जो ममता।
अरे चेहरे पर कैसी है ये चिंता,
जो लायी तेरे माथे पर पसीना
फिर क्यों न कहें हम,
वो है ममता की मूरत
वाह कितना सुन्दर है,
कितना प्यारा है
तेरा यह रूप निराला रे, निराला रे।
पिता की गोद,
माँ का आँचल
बाप का लाड़ -प्यार,
भाई की कलाई और बहना का प्यार
सखियों का दुलार,
बचपन की छेड़ -छाड़
सब को बाबुल के घर निभाती।
अरे पिता की सेवा,
माता का ख्याल
भाई की मिठास,
बहना की गुड़िया
रसोई की पकाई और सब का ख्याल
तुझे पति के घर है सताती
वाह रे नारी,
तेरा मन कितना निराला रे - निराला रे।
मिला जो अब ससुराल में
सास के ताने, ससुर के बहाने,
ननद के नखरे, देवर की फरमाइश
सब को अपना कर जीवन अपना,
पति पर लुटाती
वाह रे नारी तेरा मन कितना निराला रे।
घर की चाभी, परिवार का संग
समाज का ख्याल और ससुराल की दहलीज
कभी न लुटाती
बस अपने अरमानों से पीया के घर सजाती
अपना जीवन पूरा, पिया के घर बिताती
वाह रे नारी तेरा, यह अभिमान
कितना निराला रे - निराला रे।
छोड़ का बाबुल का घर, बचपन का आँगन
माँ की गोद, बहन की बोली
भाई की डोली, पड़ोस का कुआँ
गाँव का स्कूल, इमली की चटनी
अब सब को छोड़, जा पति के साथ
सात वचन जो निभाती!
वाह रे नारी तेरा,
यह त्याग कितना निराला रे।
ससुर का मान, सास का संदेश
पति का सम्मान, ननद की डोली,
देवर की रानी, मांग का सिंदूर
गले का सूत्र, सब को कर स्वीकार
अंतिम सांस तक है निभाती
वाह रे नारी तेरा,
यह समर्पण कितना प्यारा रे, निराला रे
तभी तो कहता कवि कोई,
धन्य है, तू धन्य है,
कोटि - कोटि, तुझे नमन है।

