बेरोजगार
बेरोजगार
रोजगार की किल्लत है
घर से मिलता कटु प्रवचन जारी है
हे भगवान
तूने कैसी तकदीर बनाई है।
नौकरी – नौकरी सुन – सुन थक चुका हूँ
ऐसा लगता है
जीवन से ऊब चुका हूँ
कब तक सुनना हो ताना
सच में जीवन लगता है बेकार
जेब में न रुपया कोई
आँखों में ख्वाब
लेकिन कुछ भी कहो
बेरोजगार शब्द है बहुत खराब।
बाप की टूटी चप्पल
माँ का चश्मा
बहन की डोली
दहेज का भार
सब पर पड़ा बेरोजगार भारी है।
पाप की थोड़ी गठरी दे दो
पर रोजगार के नाम
कुछ आशीष दे दो।
पढ़े लिखे सब हम बेकार
पकोड़ा तल लो
पर बताओ तो सही
कितने लोग तलेंगे पकोड़ा ?
बहुत मुश्किल से मिलती डिग्री है
पर सरकार तुम्हारी क्या जाने
क्या होती लाचारी है।
बेशक तुम पेंशन मत दो
ना मकान का भत्ता
ना बीमारी का भत्ता
बस जुमलों को छोड़
हे सरकार
कुछ रोजगार दे दो।
नहीं चाहिए कोई प्रमोशन
बस एक रोजगार दे दो।
जुमलों से कब तक काम चलाओगे
कुछ रोजगार की बहाली निकालो।
युवा थक चुके है
अखबार भी रोता रहता है
हर तरफ बस खबर एक ही
रोजगार – नहीं , रोजगार नहीं
मेरे देश का कुछ हाल सुधारों
बेरोजगार होना , है बहुत खराब
खाली दिमाग शैतान का घर
मजबूरी का लोग उठाते फायदा
काले धंधे , गोरे धंधे
गली – गली दंगे फसाद
बेरोजगारों को अब ना उलझाओ।
पुलिस तुम्हारी डंडे बरसाए
कोई अभिमानी गोली बरसाये
सत्ता तुम्हारी , न्याय तुम्हारा
अधिकारी तुम्हारा , जाँच तुम्हारी
बेरोजगारों की चरित्र बिगाड़ी
अब अपना रोना किसे सुनाए
बस रोजगार के कुछ अवसर दो।
बेरोजगारी को भारत से हटाओ
शासन – सत्ता सब पास तुम्हारे
विनती सुनो हे रोजगार दाता
बेरोजगारी का ये धब्बा हटाओ
भारत को भारत बनाओ।
