मां पन्नाधाय
मां पन्नाधाय
मां पन्नाधाय का बलिदान
नही भूल सकता है,जहान
जिसने स्वामिभक्ति खातिर
मातृत्व का दिया इंतिहान
जब दासी पुत्र बनवीर के
हृदय में जगा,लोभ तूफान
मेवाड़ का शासक बनने को
आया मारने उदयसिंह को
पन्ना ने बचाई मेवाड़ शान
उदयसिंह माना पुत्र समान
अपने पुत्र को पहनाये वस्त्र
जो थे उदयसिंह की पहचान
बनवीर ने देखा उदयसिंह थान
वो समझा यही है,मेवाड़ी शान
बनवीर ने चला दी थी तलवार,
पर पन्ना बन बैठी मूरत पाषाण
मुंह से उफ़ तक आवाज न आई
ऐसे बचाये पन्ना ने उदयसिंह प्राण
खुद के पुत्र चंदन का दिया बलिदान
धन्य है,पन्ना,तुझे वंदन करे,हिंदुस्तान
गर नही होती पन्ना धाय जैसी नारी
कैसे बचती,फिर उदयसिंह की जान
जो नही होते उदयसिंह,कैसे आते
फिर हमारे महाराणा प्रताप महान
आप जैसी माताओ के कारण ही,
जन्म लेते इस धरती पर भगवान
आओ मातृशक्तियों का करे,सम्मान
जिनके कारण ही टिका,हिंदुस्तान।