STORYMIRROR

ANCHAL PANCHAL

Abstract

4  

ANCHAL PANCHAL

Abstract

मां मुझे तेरी बहुत याद आती है

मां मुझे तेरी बहुत याद आती है

2 mins
261

मुझे धरती पर लाने वाली पाल पोसकर बड़ा करने वाली

और तो और गुस्से में भी मुझपे प्यार बरसाने वाली

कोई और नहीं एक मां याद आती है 

मुझे चिंता में देख अपनी परेशानी भुलाके मुझे सहारा देने वाली 

घंटो घंटो मेरे लिए रात में जागकर अपनी नींद कुर्बान करने वाली

कोई और नहीं एक मां याद आती है


एक बार उनसे पूछिए जिनके पास मां नही होती 

एक मां तू ही तो है जिसकी कमी किसी से पूरी नहीं होती 

मेरे नाराज होने पर मुझे मानती है 

कभी पापा की डाट से बचाती है 

मुझे मनाने के चक्कर में खुद नाराज होकर बैठ जाती है


मां मुझे तेरी आज बहुत याद आती है 

आज तू मुझे थोड़ी दूर पर मां तू मेरे दिल के हमेशा करीब है

तेरे आँचल पकड़कर चलने को अब जी चाहता है

तेरे साए से लिपट जाऊं ऐसा मेरा मन कहता है

आपने बच्चो के लिए तो तेरे दिल में हमेशा से एक अलग जगह होती है

मां आज मुझे तेरी बहुत याद आती है


तेरी मधुर लोरी की आवाज आज भी मेरे कानो में सुनाई देती है 

वो बेसन की सोंधी रोटी पर माखन और खट्टी चटनी जैसी मां याद आती है 

तेरी गोद में सोते हुए वो प्यार की थपकियां याद आती है 

और परेशानी में भी तेरे मासूम चेहरे की मुस्कान याद आती है 

तू कैसे कर लेती है इतना सब 

मां मुझे तेरी एक एक बात याद आती है

मां मुझे तेरी एक एक बात याद आती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract