कवि के अल्फाज़
कवि के अल्फाज़
हम है इन सब से बेखबर की,
एक कलम क्या क्या कह सकता है
आओ जाने की,
एक कवि क्या कहता है
कवि लफ्जों से नहीं,
अपनी कलम से कहता है
अपनी वाणी ले नहीं
अपने अल्फाजों से कहता है
उसका घमंड नहीं बल्कि,
भावनाएं और जस्बात बोलता है
आओ जाने की,
एक कवि क्या कहता है
अपनी मर्यादा में नहीं,
अप्रत्यक्ष रूप में कहता है,
हत्यार से नही
अपनी लेखनी की ताकत से लड़ता है
क्योंकि वो एक कवि है,
आदि और अंत सब जानता है
आओ जाने की,
एक कवि क्या कहता है
वो चाहे तो संसार बदल सकता है
आकाश से पाताल तक का
रास्ता बता सकता है
क्योंकि वो एक कवि है
पुस्तकों की ताकत जानता है
ये उसके कलम को पता है
की कवि क्या कहता है।