टूटा हुआ है दर्पण
टूटा हुआ है दर्पण
उसकी कड़वी बातों के तीर से
टूट गया है मेरे मन का दर्पण
हो गया चूर जैसे अस्तित्व मेरा
पल भर में ही किसी शब्द से
उसे तो आभास तक नहीं मेरे दर्द का
उसकी दिल आज़ारी ने क्या असर किया
न ही पड़ी किरचें और ना जुड़ पाया फिर
टूटा हुआ है दर्पण मेरे दिल का आज भी।