STORYMIRROR

Akanksha Gupta (Vedantika)

Tragedy

4  

Akanksha Gupta (Vedantika)

Tragedy

टूटा हुआ है दर्पण

टूटा हुआ है दर्पण

1 min
200

उसकी कड़वी बातों के तीर से

टूट गया है मेरे मन का दर्पण


हो गया चूर जैसे अस्तित्व मेरा

पल भर में ही किसी शब्द से


उसे तो आभास तक नहीं मेरे दर्द का

उसकी दिल आज़ारी ने क्या असर किया


न ही पड़ी किरचें और ना जुड़ पाया फिर

टूटा हुआ है दर्पण मेरे दिल का आज भी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy