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Niki Swar

Tragedy

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Niki Swar

Tragedy

उसकी डोली

उसकी डोली

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जब बाबुल ने अपना सर्वस्त्र गिरवी रख,

अपने सपनों की कीमत चुकाई थी,

उसकी डोली दहेज के कंधों पर उठाई थी।


बारात नहीं जनाजा ही था वो,

जो उसका शरीर उठाएं जा रहे थी,

स्वाभिमान उसका, उसकी आत्मा तभी फ़ना हो गई थी,

जब उसकी मांग भी सौदे से लाल कराई गई थी।


छोटे - छोटे ख्वाबों को देख कर,

उसने जो प्रेम की दुनिया सजाई थी,

दहेज प्रेमी तेरे दहेज ने उसके,

अरमानों की चिता एक जलाई थी।


घटना से पूर्व सबने उसकी मौत की साज़िश रचाई थी,

एक ने मोल - भाव कर उसकी बोली लगाई थी,

दूजे उसके बापू ने खुशी - खुशी उसकी कीमत चुकाई थी,

हां, उसकी डोली दहेज के कंधों पर उठाई थी।


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