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Deepa Vankudre

Romance Tragedy

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Deepa Vankudre

Romance Tragedy

भी देख ली

भी देख ली

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मेहरबानियों से खूब वाकिफ थे

आज रुसवाईयां भी देख ली

इनायतों की बारिश में भीगे थे कभी 

आज नाराजगियों की नुमाइश भी देख ली


बदले में कुछ न चाहने की चाह थी

आज बेमुराद हसरतें भी देख ली 

एक आह क्या उठी दिल से

आज मुहब्बत की हदें भी देख ली।

 

रंजिशों का नामोनिशान न था

आज शिकायतों की रफ्तार भी देख ली 

वादों की डोलियां ऊठी थी कभी 

आज उनके जनाजों की कतार भी देख ली।


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