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Deepa Vankudre

Others

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Deepa Vankudre

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गुरू

गुरू

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जग में बड़ा अंधेरा, 

तुम ज्योती बनकर आए,

मुझ अज्ञानी के जीवन में 

तुमने ज्ञान के दीप जलाए।

उँगली थामे तुमनेही तो 

मुझे है चलना सिखाया, 

मंजिल तुम्ही से है, अब 

तुम बिन कहाँ हम जाए।

शब्दों से खेले व्यर्थ ही, 

सुनना, सुनाना बहुत हुआ, 

मन को कुछ और नहीं, 

बस गुरु की वाणी ही भाए।

तुम बिन दूजा दृश्य न कोई, 

मेरे मन को नहीं लुभाता,

जहाँ देखूँ वहाँ तुम हो, 

ऐसे हृदय में हो समाए।



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