कल हमने उसे सपनों में देखा था
कल हमने उसे सपनों में देखा था
चंचल हवा सी लहराती हुई
बादलों से बातें करती थी
सात रंगों का हार था पहना
पंछियों संग चहकती थी।
हँसी उसकी सुनी थी जैसे
हजार चाँदी की घँटियाँ बजी,
ओस की बूँदें सेहेर की, उसके
घने काले सँवरे बालों में सजी।
होंठ नही अधखुले फुल थे,
चाँद सा मुखडा था निखरा
आँखो के मयखाने से मानो
मद का नशा था बिखरा।
कल हमने उसे सपनों में देखा था
आज फिर देखने की तमन्ना है
चाहत के गुल खिले जो दिल में
मिलकर समझाना और समझना है।
