STORYMIRROR

Kanchan Jharkhande

Tragedy

4  

Kanchan Jharkhande

Tragedy

कुछ ऐसा होगा; साल 2040

कुछ ऐसा होगा; साल 2040

1 min
347

साल 2040, 

बदली हुई दुनिया और 

खिड़की के बाहर...


जब कोई व्यक्ति निहारेगा

तो बादलों के बुलबुलों से

निकलता हुआ नज़र आएगा

इंद्रधनुष, क्योंकि तब कोई 


किसी को नही ढूँढेगा गलियों में

तब तक बन चुकी होंगी

निर्वात में भी इमारतें

पक्षियों का चहचहाना भी


लुप्त सा हो जायेगा

वर्षा की कलकल भी शायद

ही सुनाई दें क्योंकि यह मानव

ध्यान आकर्षण के संसाधन हैं।


पर उस साल तक प्रत्येक मानुस

आदि बन जायेगा प्रौद्योगिकी में

इंटरनेट पर बनेंगे बे-बुनियादी रिश्तें

तब रिश्तें कहाँ होंगे


होंगे तो केवल भृमित 

बीस साल बाद जब एक बच्चा

देखेगा किसी पौरोणिक किताब को


तो कहेगा कि मैंने किताबों को नही देखा

जब देखेगा इंटरनेट पर कोई कॉमिक्स

तो कहेगा मैंने इन तितलियों को


वास्तविकता में उड़ते नही देखा

जब इस प्रकार के प्रश्न एक बच्चा करेगा

तो ज्ञात होगा कि हम


कितने संसाधनों को खो चुके

मेरी नज़र में साल 2040 

कुछ ऐसा होगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy