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Kanchan Jharkhande

Abstract Tragedy

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Kanchan Jharkhande

Abstract Tragedy

विचित्र

विचित्र

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क्या पता था...

2011 में शुरु होने वाली एक कहानी

2021 में खतम हो जाएगी 

कोई "देवानन्द" वाली लड़की 

कतरा कतरा मायूस हो जाएगी

कोई तीन जिगरी यार थे जो

अब एटीट्यूड के मोहताज हो जाएंगे

किसे ख़बर थी...


वो कबीट के दीवाने लफ़ंट्टू

अब नौकरी की धवस बताएंगे 

प्रेम को सर्वज्ञ मानने वाली वो लड़की 

एक दिन पैसों की औकाद जानेगी

क्या पता था...


खुदा का दर्जा दिया था जिसे वो

औरत एक दिन 

उसकी आँखों से ईमान का पर्दा उतारेगी

बड़ी अजीब सी दास्तान रही 

दुनियां से वो अनजान है

अमीरी की भूखी है दुनियां 

ये जान कर वो हैरान है। 


सुना है उसकी लिखावट में 

कुछ गहरे से राज रहे....

संगीतों से बनाये वो रिश्ते

बस दिखावो के लिबाज़ रहे.... 

उसके लिए अब दिन क्या

और क्या काली रात है...

टूटे हुए सागर में अब कहाँ

वो पहली वाली बात है। 


प्रेम नामक कुछ नहीं

सब पैसों का तमाशा है

हम फ़क़त कठपुतली है

और लोगों के हाथों पांसा है।


कोई किस कदर टूटा

कौन कितना रूठा...

महज़ एक मज़ाक है...

मुस्कुराते लोगों का 

वाह क्या रिवाज़ है।


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