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Amar Singh Rai

Abstract Inspirational

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Amar Singh Rai

Abstract Inspirational

धर्म-अधर्म

धर्म-अधर्म

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धर्म-अधर्म समझना है गर,

 चलिए पढ़ें महाभारत।

  सत्य-असत्य समझ आएगा,

   तिरस्कार अपमान हिकारत।


कैसे पुत्र- मोह, वचनों में,

 बड़े- बुजुर्ग रहे जकड़े।

  धर्म नीति के जो थे पालक,

   राह अधर्म रहे पकड़े।।


सच को सच न कह पाए,

 कभी झूठ पर न टोका।

  शीश झुकाए रहे निरुत्तर,

   चीर हरण को न रोका।।


दुर्योधन की दुष्प्रवृत्ति व,

 गलती पर पर्दा डाला।

  आस्तीन का साँप शकुनि,

   अपने ही घर में पाला।


जो राजा सिंहासन के प्रति,

 सच्ची निष्ठा न रख पाता।

  मुखिया करता पक्षपात यदि,

   तभी महाभारत हो जाता।


मानवता जिसमें बसती है,

 होता वही बड़ा इंसान।

  रहो सत्य के साथ हमेशा,

   होता मानव धर्म महान।


     

       


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