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Amar Singh Rai

Tragedy

4  

Amar Singh Rai

Tragedy

क्या लिखूँ..?

क्या लिखूँ..?

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सोच रहा हूँ आज,

कि कुछ नया लिखूँ।

लेकिन समझ न आए,

कि मैं क्या लिखूँ?

कैसे भूल जाऊँ ?

मणिपुर की कहानी।

बेशर्मी की हदें,

पार करती मनमानी।

सोचा करना ठीक नहीं,

इस तरह बखान।

इसके लिखने से, 

होगा नारी अपमान।

सोच रहा हूँ कि,

मैं चोरी लूट लिखूँ।

या तानाशाही, 

गुंडों की छूट लिखूँ।

लिख दूँ क्या दीनों की,

करुणा, जलते घर?

अबलाओं के ऊपर,

होता जुल्म, कहर।

इक सैनिक पति का,

मैं कैसे दर्द लिखूँ ?

रहे देखते उनको,

कैसे मर्द लिखूँ ?

भरे हुए मन से,

कैसे श्रृंगार लिखूँ?

दर्द दबाकर,

मैं कैसे त्यौहार लिखूँ? 

नहीं- नहीं मुझसे,

यह न हो पाएगा।

होगा जो महसूस,

वही बाहर आएगा।



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