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सोच रहा हूँ आज, कि कुछ नया लिखूँ। लेकिन समझ न आए, कि मैं क्या लिखूँ? सोच रहा हूँ आज, कि कुछ नया लिखूँ। लेकिन समझ न आए, कि मैं क्या लिखूँ?
पितृऋण से लेकिन कोई, उऋण नहीं हो पाता है।। पितृऋण से लेकिन कोई, उऋण नहीं हो पाता है।।
आओ सनम चाह तेरी पुकारे, पावस अकेले बुझाई न जाती। आओ सनम चाह तेरी पुकारे, पावस अकेले बुझाई न जाती।
रिश्ते कड़वे हो चले, मन में रहती डाह। किसे पड़ी परिवार में, कौन करे परवाह।। रिश्ते कड़वे हो चले, मन में रहती डाह। किसे पड़ी परिवार में, कौन करे परवाह।।
रह जाता यह सोच, लिखा विधि का ही होता। रह जाता यह सोच, लिखा विधि का ही होता।
फिर बोले बन्धुवर, आप क्या लिखते हो? लिखने में रंच मात्र, बिलकुल न डरते। फिर बोले बन्धुवर, आप क्या लिखते हो? लिखने में रंच मात्र, ...
आततायी अत्त अत्यधिक, अत्याचार ज़ुल्म बढ़ जाते। आततायी अत्त अत्यधिक, अत्याचार ज़ुल्म बढ़ जाते।
चलो राष्ट्र के लिए लिखें कुछ, और नई कोई राह दिखाएं..चलो लिखें, चलो राष्ट्र के लिए लिखें कुछ, और नई कोई राह दिखाएं..चलो लिखें,
जब तक प्राण है तन में। 'अमर' तमन्ना और नहीं प्रभु, दो चरणों में ठौर।। वो होंगे कोई जब तक प्राण है तन में। 'अमर' तमन्ना और नहीं प्रभु, दो चरणों में ठौर।। ...
बैठ के पैर दबा तो देते, लेकिन हमको समय नहीं है।... बैठ के पैर दबा तो देते, लेकिन हमको समय नहीं है।...