संविधान में सबका हित
संविधान में सबका हित
(14 अप्रैल अंबेडकर जयंती पर विशेष)
संविधान में सबका हित है
दूभर होता न्याय का मिलना,
नियम का अगर विधान न होता।
सोच के देखो क्या होता गर,
संविधान निर्माण न होता।।
चुप रह-रहकर पीड़ा सहते,
अभिव्यक्ति अधिकार न होता।
शोषित-पीड़ित व्यक्ति भटकता,
न्याय विधि अनुसार न होता।।
धर्म, संस्कृति, व समानता,
स्वतन्त्रता का न हक होता।
जिसकी लाठी भैंस उसी की,
रोज बखेड़ा नाहक होता।।
आततायी अत्त अत्यधिक,
अत्याचार ज़ुल्म बढ़ जाते।
बेकसूर इंसान जेल में,
अपराधी बाहर मुस्काते।।
यहाँ विषमता चरम पे होती,
देश तरक्की न कर पाता।
गरीब पिछड़ा और पिछड़ता,
बच्चे न शिक्षित कर पाता।।
अधिकारों संग कर्तव्यों के,
एक-एक विधान निहित है।
गौरव करता देश समूचा,
संविधान में सबका हित है।।
