घर का बुद्धू
घर का बुद्धू
मुझें इल्म नहीं कि तुम्हारा नाम
अब चाँद सितारों में लिया जाता है।
मुझें इल्म नहीं कि मेरा तुमसे
बात करना तुम्हें सताता है।
मैंने राहें क्या जिंदगी
ऐ ज़िद्द भी बदल ली है तुझसे
ओर मुझें यकीं है घर का बुद्धू
एक दिन घर को लौट कर आता है।
शाम ढलेगी तेरी याद आएगी
बिछड़ कर भी तेरे लिए फ़रियाद आएगी
तू मुझें याद करें या ना करें
तेरी याद मुझें विलय के बाद भी आएगी।
किसी ने भूला दिया तुझें
और किसी ने याद रखा।
एक मैं हूँ तुझें सरांखो सदा रखा।
मुझें अब इल्म नहीं कि तीरे मीरे
बन्धन को अब क्या देखा जाता है।
ओर मुझें यकीं है घर का बुद्धू
एक दिन घर को लौट कर आता है।