कभी न कभी तुझें दिखेंगे,,,बाई के जे
कभी न कभी तुझें दिखेंगे,,,बाई के जे
कभी न कभी तुझें दिखेंगे
क्या हुआ जो हम बाजार में बिकेंगे
ये रास्ता वो रास्ता कभी निकल गए
तेरे भटकाये हुए उसी रास्ते मिलेंगे
जहाँ तालीम दी जाती है...
शराफ़त की...
जहाँ तालीम दी जाती है...
शराफ़त की...
किसी रोज़ तुझसे शराफ़त से मिलेंगे
ये कैसा इंतक़ाम है तुम्हारा....
न मिलना था न बिछड़ना था
सच बताओ...
तुम्हें अच्छा लगता है क्या...
सच बताओ...
तुम्हें अच्छा लगता है क्या...
तुम्हारे पढ़ाये हुए तुम्हें चुपके से मिलेंगे
ये शोर शराबा कैसा है...
नहीं मालूम
तेरी ख़ामोशी मुझपे असर करती है
चिड़ियाओं के दिल में भला चिड़ियाएँ कहाँ बसर करती हैं
ये संघर्ष बड़ा कटीला है...
इस बात पर अमल मिलेंगे...
"कंचन" सी शख्सियत वाले ये बंजारे
कभी न कभी तुझें दिखेंगे पर
क्या हुआ जो हम बाजार में बिकेंगे....के जे