अपना घर
अपना घर
एक एक तिनका चुन चुन कर
देखो ये पक्षी लाया है,
सुंदर एक घर बुनने का
सपना मन में लाया है।
जब यह सपना सच होगा
उसका भी एक घर होगा
छोटा हो, या हो बड़ा
यह घर उसका अपना होगा।
कच्ची या पक्की जैसी भी हो
सर पर अपनी एक छत होगी
अपनों के नाम से सजी हुई
दरवाजे पर तख्ती होगी।
कुछ ग़म होंगे गर अपने तो
खुशियाँ भी तो अपनी होंगी
अपनी मर्जी से जीने पर
यहाँ न पाबंदी होगी।
रुखी सूखी जैसी हो
इज्जत की रोटी होगी
थक हार कर जब लेटेंगे
सपनों से नींद सजी होगी।
नीले से अंबर के नीचे
जब अपनी एक छत होगी
जितना चाहो पंख फैलाओ
नभ छूने की आजादी होगी।
एक दिन तो होगा ऐसा
जब यह सपना सच होगा
सबसे प्यारा, सबसे न्यारा
उसका अपना एक घर होगा।