नवसंवत्सर
नवसंवत्सर
कोयल कूहके मधुर ध्वनि में
अमियां हैं बौराई
रास रंग से पुष्प सुगंधित
भंवरे, तितलियां इतराई
हुई सुनहरी बालि गेहूं की
फसलों पर आई तरुणाई
पशु, पक्षी करते सब क्रीड़ा
वृक्षों पर नई कोंपलें आईं
हरियाली देखो चहुं और है
मधुर ऋतु बसंती आई
चैत्र शुक्ल यह मास है पावन
ऊर्जा जनमानस में आई
समय है शक्ति अर्जन का यह
माता नवरातों को आई
दीप जलायें, सजायें तोरण
छोड़ के अनबन बाटें मिठाई
उत्सव है नव संवत्सर का
आओ मनायें मिलकर भाई
