कच्चे धागे से रिश्ते
कच्चे धागे से रिश्ते
कुछ ही रिश्ते तो ज़िन्दगी में बड़े खास होते हैं,
कच्चे धागे से रिश्ते ये स्नेह से संभाले जाते हैं।
जीवन के हर पहलू, हर मोड़ के खास अंग ये,
कभी खट्टे, कभी मीठे से बड़े अनमोल होते हैं।
कभी ग़म तो कभी खुशियों के रंग बिखेरते ये,
रूठते और मनाते से, बड़े ही अलबेले होते हैं।
अनगिनत एहसासों की खुशबू समेटते हुए ये,
कभी हँसाते कभी रुलाते से संग संग चलते हैं।
हौसला कभी हिम्मत बनते, होते ठंडी छाँव ये,
बनकर परछाई हमारी हर पल साथ निभाते हैं।
कभी प्यारी सी नोंक-झोंक, कभी है तकरार ये,
अपनेपन के आँचल में, हर तूफां समेट लेते हैं।
दुनिया की हर दौलत से परे नाज़ुक से रिश्ते ये,
प्यार, अपनेपन और विश्वास से सींचे जाते हैं।
मजबूत नींव इनकी, जब विश्वास से भरे हों ये,
कोई झोंका भी न तोड़ पाए इतने गहरे होते हैं।
जज़्बात समझते दिल से दिल के तार जोड़ते ये,
रिश्ते रूठे को मनाते, जाते हुए को रोक लेते हैं।
संभालो रिश्ते, छोटी-छोटी बातों से टूटे ना ये,
जीवन का कठिन सफ़र यही आसान बनाते हैं।
इस छोटी सी ज़िंदगी में बड़े ही मायने रखते ये,
रिश्ते हर पल यादों की सुनहरी तस्वीर बुनते हैं।
उम्र भर साथ चलते रिश्ते, होते हैं परछाई से ये,
जब सच्चाई के साथ रिश्तों में, फ़र्ज़ निभाते हैं।
मिठास घोलते जीवन में, शक्कर से भी मीठे ये,
जब प्रेम और विश्वास, रिश्तों के आधार होते हैं।
