ऊपर वाले की आवाज
ऊपर वाले की आवाज
जीवन की दुर्गम राहों पर
जब मानव खो- सा जाता है
कर्मों की कारा में ब॔ध कर,
नर निराश हो जाता है,
सुख-दुख की माया के आवरण में
जब मन विचलित हो जाता है,
जीवन की अंधेरी राहों पर
आशा की किरण ना पाता है,
समस्याओं के भंवर जाल में
डूबता और उतराता है,
अपने कर्मों की सजा
भुगत नहीं वो पाता है
जब अपना कहने को जग में
नजर नहीं कोई आता है
चारों ओर से हो निराश
देता ऊपर वाले को आवाज।
महसूस करो तो कण कण में
उसी की छाया है,
चारों ओर प्रकृति में
बस उसी की ही माया है
कण- कण में विराजमान
उसकी है----- निराली शान
पत्ता पत्ता, बूटा बूटा
फूल फूल और क्यारी क्यारी
चहुंओर बिखरी हैं,जग में,
उसकी कृतियां प्यारी - प्यारी
हृदय से सुमिरन करो, प्रभु का
मन में उसकी लौ लगा कर,
भक्ति की सिम डलवा कर,
राम राम का रिचार्ज करवा कर
नेटवर्क के तुम जोड़ो तार
सुनेगी तुम को अच्छे से फिर
ऊपर वाले की आवाज़।