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Rajeshwar Mandal

Abstract

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Rajeshwar Mandal

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शायरी संग्रह

शायरी संग्रह

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क्या ग़म बिछुड़ने का उनसे

जिनसे कभी दिल लगा नहीं

और जिनसे लगा दिल मेरा 

उन्हें मैं कभी  भाया  नहीं 


 द्वंद में पूरी जिंदगानी बीती

 लम्हें लम्हें पाला बदलने में

 हासिल मुक्कमल कुछ न हुआ

 सिवाय तमगा बदनामी की


रुठे तो रुठे राज  किनसे

अब मनाने का रिवाज रहा नहीं

और जिसने भी यह रिवाज निभाया

उनका भी दामन साफ मिला  नहीं 


अब तो हर एक चेहरे

बीजगणित सी लगती है 

सीधी बातों से सुलझता नहीं

जो एक आध सुलझे भी मिले 

बहुत दिनों तक उनसे निभा नहीं ।


कभी जिनके हर एक झूठ पर

बेमन हां में हां मिलाया करता था

अब हर सच भी उनका चुभता है

दिलो दिमाग अब सही है मेरा

या ये व क्त वक्त  की बात है।


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